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प्राथमिक विद्यालय में जो बच्चों को शिक्षा मिल रही है वह उन छात्रों को आज के इस आधुनिक युग में कितना आगे बढ़ा पा रही है ?

  • 14 Dec, 2022
"सब पड़े सब पढ़े"

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  • जब दलित शोषित पीड़ित लोगों के लिए Mr.Back Bone बने लालू प्रसाद यादवजब दलित शोषित पीड़ित लोगों के लिए Mr.Back Bone बने लालू प्रसाद यादव

    जब दलित शोषित पीड़ित लोगों के लिए Mr.Back Bone बने लालू प्रसाद यादव

    आज कल के कुछ नए नौजवान युवा कहते है की लालू जी ने क्या किया ?

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  • "लालू प्रसाद यादव" भारतीय राजनीति का वह नाम है जो पिछड़ों दलितों को आवाज दिया।"लालू प्रसाद यादव" भारतीय राजनीति का वह नाम है जो पिछड़ों दलितों को आवाज दिया।

    "लालू प्रसाद यादव" भारतीय राजनीति का वह नाम है जो पिछड़ों दलितों को आवाज दिया।

    भारतीय राजनीति का वो योद्धा जो कभी किसी सरकार के आगे झुकना नहीं सीखा जो दलितों शोषित पीड़ित समाज को आवाज दिया जिनका नाम "लालू प्रसाद यादव" है

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  • बाबा साहेब आंबेडकर और हमारे समाज में व्याप्त सामाजिक न्याय की अवधारणा।बाबा साहेब आंबेडकर और हमारे समाज में व्याप्त सामाजिक न्याय की अवधारणा।

    बाबा साहेब आंबेडकर और हमारे समाज में व्याप्त सामाजिक न्याय की अवधारणा।

    समाज में सामाजिक न्याय की अवधारणा एक बहुत ही व्यापक शब्द है। इसमें एक व्यक्ति के नागरिक अधिकार तो है ही साथ ही सामाजिक (भारत के परिप्रक्ष्य में जाति एवं अल्पसंख्यक) समानता के अर्थ भी निहितार्थ है। ये निर्धनता, साक्षरता, छुआछूत, मर्द-औरत हर पहलुओं को और उसके प्रतीमानों को इंगित करता है। सामाजिक न्याय की अवधारणा का मुख्य अभिप्राय यह है कि नागरिक नागरिक के बीच सामाजिक स्थिति में कोई भेद न हो। सभी को विकास के समान अवसर उपलब्ध हों। विकास के मौके अगड़े-पिछड़े को उनकी आबादी के मुताबिक मुहैया हो ताकि सामाजिक विकास का संतुलन बनाया जा सके। सामाजिक न्याय का अंतिम लक्ष्य यह भी है की समाज का कमजोर वर्ग, जो अपना पालन करने के लिए भी योग्य न हो। उनका, विकास में भागीदारी सुनिश्चित हो। जैसे विकलांग, अनाथ बच्चे। दलित, अल्पसंख्यक, गरीब लोग, महिलाएं अपने आपको असुरक्षित न महसूस करे। संसार की सभी आधुनिक न्याय प्रणाली प्राकृतिक न्याय की कसौटी पर खरा उतरने की चेष्टा करती है, अंतिम लक्ष्य होता है कि समाज के सबसे कमजोर तबके का हित सुरक्षित हो सके अन्याय न हो। यदि वर्तमान भारतीय न्याय प्रणाली पर गौर करे तो यह कई विभागों में बांटी गई है, जैसे फौजदारी, दीवानी, कुटुम्ब, उपभोक्ता आदि आदि। लेकिन इन सभी का किसी न किसी रूप में सामाजिक न्याय से सरोकार होता है। सामाजिक न्याय की अवधारणा के मुख्य आधार स्तम्भ ये हैं:-

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  • Covid BF.7 variant took China in its grip, WHO asked for reports, new variant spread in India too?Covid BF.7 variant took China in its grip, WHO asked for reports, new variant spread in India too?

    Covid BF.7 variant took China in its grip, WHO asked for reports, new variant spread in India too?

    In view of the increasing cases of Corona, Prime Minister Narendra Modi held a high level meeting and the Central Government issued several guidelines.

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  • Footpath: Have you ever seen the night of the poor?  If you want to see, get out on the road.Footpath: Have you ever seen the night of the poor?  If you want to see, get out on the road.

    Footpath: Have you ever seen the night of the poor? If you want to see, get out on the road.

    Winter: How painful is the cold night. If you want to know it condition, then sometime go out on the streets of the city at night.

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  • भारत का भूखमरी रिपोर्ट 2022 में 107 वां स्थान भारत का भूखमरी रिपोर्ट 2022 में 107 वां स्थान

    भारत का भूखमरी रिपोर्ट 2022 में 107 वां स्थान

    भूख का नाम सुनते ही तुरंत पेट की तरफ ध्यान पड़ता है क्योंकि "भूख" एक भावना से जुड़ा शब्द है। क्योंकि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए और दिन भर के कार्यों को करने के लिए पेट भरना बहुत जरुर है ।और भूखमरी से जुड़े लेख पढ़ने वाले हम में से अधिकांश बड़े दिल वाले होते हैं जो अपने आस पास गरीबी को देखते हैं और समझते हैं । खाने के लिए हमारे पास पर्याप्त या उससे भी अधिक है। लेकीन इसी भारत के बहुत भारतीय लोगों या परिवारों के पास एक समय का भोजन करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। तब जाके वो अपने बीवी बच्चों का पेट पालते हैं। वो भी उनका पेट अच्छी तरह से नहीं भर पाता। दुनिया भर के लिए जारी होने वाली यह रिपोर्ट इसलिए भी परेशान करने वाला है कि 2022 ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 121 देशों में से 107 वें स्थान पर है।जो की 2021 में 101 स्थान पर थी। "भूखमरी रैकिंग" में भारत की जगह उत्तर कोरिया, इथियोपिया, सूडान, रवांडा, नाइजीरिया और कांगो से भी नीचे है। जबकि भारत एक सर्व संपन्न देश है।.

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  • भारत में कृषि स्तर को सुधारने के लिए सलाह।भारत में कृषि स्तर को सुधारने के लिए सलाह।

    भारत में कृषि स्तर को सुधारने के लिए सलाह।

    भारतीय कृषि में पिछले कुछ गत वर्षों में कृषि विकास में तेजी से कमी आई है। किसानों के लिए आवश्यक समर्थन पद्धतियों जैसे कि अनुसंधान, विस्तार, इनपुट आपूर्ति और आश्वस्त लाभप्रद विपणन के लिए अवसरों की समीक्षा और उनमें सुधार करने की आवश्यकता है। वर्तमान में सरकार की नीतियां जरूर बनती हैं लेकिन उनका सही क्रियान्वयन नहीं हो पाता, जिससे उनका उद्देश्य हासिल नहीं हो पाता। फसल बीमा योजना, कृषि सिंचाई योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, किसान संपदा योजना, स्वास्थ्य हेल्थ कार्ड आदि सरकारी योजनाओं से किसानों में उत्साहवर्धन अवश्य हुआ लेकिन इन योजनाओं का सही क्रियान्वयन नहीं हो पाया जिससे उद्देश्य हासिल नहीं हो पाया।.

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